मध्यप्रदेश के बैतूल में शिक्षकों ने किया मध्यप्रदेश सरकार को सद्बुद्धि प्रदान
करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ,
सभी शिक्षक अपने वेतन से कितना परेशान हो चुके हैं
वेतन कितना कम है कि आने जाने में और शालाओं के मेंटेनेंस में पैसा खर्च हो जाता है मध्य प्रदेश सरकार जिसने कभी शासकीय शालाओं की तरफ मुड़ करके भी नहीं देखा है जिनकी हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती चली जा रही है यह वही साला है जहां से देश के भविष्य शिक्षित होकर देश की तरक्की के पायदान पर मुख्य भूमिका निभाते नजर आएंगे जब शिक्षक यह परेशान तो छात्रों की योग्यताओं का अंदाजा लगा सकते हैं स्कूलों के अंदर शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र एक दशक के साए में होते हैं तब कहां से कौन सा दरवाजा खिड़की टूट कर गिर जाए
मध्य प्रदेश सरकार, शिवराज सिंह चौहान ने अमेरिकी दौरे पर कहा था, की मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों से भी बहुत ज्यादा है, शिक्षा के नाम पर हो रहे घोटालों के विषय में कभी चर्चा भी नही की ना किसी प्रकार से घोषणा में और ना ही किसी पत्रकार वार्ता में, प्रदेश में गिरते हुए शिक्षा के स्तर पर बातचीत भी नही की
मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका से अच्छी हो सकती हैं ( हालांकि यह भी एक सपना ही है :- आम जनता का ), अब आने वाले समय में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए शिवराज सिंह चौहान जब 5 साल के बाद अमेरिकी दौरे पर जाएंगे ( यह भी अब सपना ही है :- शिवराज सिंह चौहान का ) तब उनसे यह सवाल करने वाला वहां पर कोई उपस्थित नहीं होगा जो शिक्षा पर मध्य प्रदेश सरकार की जीडीपी का परसेंटेज पूछेगा,
इसीलिए हमारे देश के राजनेता बेखौफ जुमलेबाजी करने से बाज नहीं आते
मध्य प्रदेश प्रशासन के लिए बड़ी शर्म की बात है कि शिक्षक को सड़क पर उतरकर अपने भरण पोषण के लिए
अहिंसावादी आंदोलन करने पड़ रहे हैं
इसका कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा उन छात्रों पर जो अपने को शिक्षा देने वाले शिक्षकों को इस तरह की मोहताजी
भरी जिंदगी जीते
देख रहे होंगे,
शिक्षकों ने जो तरीका अपनाया है वह शांतिप्रिय है और उन्हें कुछ मिलेगा इस तरह की मात्रा संभावनाएं ही रही है क्योंकि शिक्षकों का आंदोलन फिलहाल मध्यप्रदेश सरकार की गद्दी के लिए नुकसानदायक साबित नहीं हो सकता इसीलिए शिक्षकों को इनसे कुछ मिल जाएगा इस तरह
का आश्वासन रखना भी ठीक है
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार अपना शासन चलाया है जिनका उद्देश्य सभी प्रकार के सुख सुविधाओं का उपभोग करने से मात्र कुछ भी नहीं है, जनता के आवेदन कचरे के डिब्बे में ही पाए जाते हैं, मंदसौर किसान आंदोलन जैसा कुछ जब होता है जो सरकार को जगाने के लिए काफी होता है ( तब जेक cm टेंशन में आते है ) और इस तरह के आंदोलन को भी नष्ट करने वाली योजना को ""भावान्तर"" योजना के नाम से जाना जाता है जिससे ऐसे आंदोलन भी खत्म कर दिए जाते हैं
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