नई दिल्ली : कहा
जाता है कि भाजपा में अमित शाह की रणनीति अच्छे से अच्छे चक्रव्यूह को भेदकर जीत
के द्वार तक ले जाती है। कुछ ऐसा ही एकबार फिर से उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव
में होता दिख रहा है। जहां पर भाजपा ने उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हुए
उपचुनाव में हार का बदला बसपा व सपा से लेने की पूरी तैयारी कर ली है। माना जा रहा
है कि सपा के विधायकों में सेंध लगाकर बसपा के एक प्रत्याशी को राज्यसभा में भेजने
का गणित भाजपा बिगाड सकती है।
भाजपा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा बनाई रणनीति का असर सपा के खेमे में अभी
दिखाई देने लगा है, क्योंकि
समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने पार्टी के द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक
में शिरकत नहीं की।
ऐसी है गणित
शुक्रवार को
राज्यसभा की 31
में 10 सीटों का फैसला उत्तर प्रदेश में होने जा रहा है,
जहां पर भाजपा ने 9 प्रत्याशी और समाजवादी
पार्टी और व बसपा ने एक-एक उम्मीदवार उतारा है। इस हिसाब से देखा जाय तो उत्तर
प्रदेश में प्रत्येक उम्मीदवार को 37 विधायकों के समर्थन की
ज़रूरत पड़ेगी। ऐसी स्थिति में 311 सदस्यों के सहारे भाजपा
कम से कम आठ सीटें जीत जाने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है।
दूसरी ओर 47 विधायकों वाली समाजवादी
पार्टी भी एक प्रत्याशी को जीत दिलाने में कामयाब हो जाएगी, जबकि
उसके 10 अतिरिक्त विधायक मायावती के कैंडीडेट की मदद करेंगे।
फिलहाल बसपा के पास कुल 19 विधायक हैं, जो ज़रूरत से काफी कम हैं। ऐसी हालत में अगर कांग्रेस के सात तथा अजित
सिंह की पार्टी का एक विधायक समर्थन कर देता है तो बसपा का राज्यसभा प्रत्याशी जीत
सकता है।
बैठक से ये रहे
नदारद
सपा की बैठकों से
अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, नरेश
अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल, आजम खां और उनके पुत्र समेत
कुल 7 विधायक गैर-हाजिर रहे।
आपको बता दें कि
कुछ ही दिन पहले अखिलेश यादव और मायावती ने 25 साल पुरानी प्रतिद्वंद्विता को भुला दिया था और BJP
का गढ़ मानी जाने वाली दो लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के
प्रत्याशी जीता लिया था। इसके बाद राज्यसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव के विधायक
मायावती की पार्टी को समर्थन देने की तैयारी कर लिए हैं।
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