देश में नोटबंदी
के बाद अब फिर से #ATM के बाहर लम्बी लाइन देख सकते हैं. बैंकों में भी पैसे नहीं
मिल पा रहे है. आपके खाते में अंक तो पूरे है पर हाथ खली हैं. अगर ज़ल्द कदम नहीं
उठाएं गए तो ये समस्या विक्राल रूप ले लेगी.
देश के कई
राज्यों में एक बार फिर बैंकों और एटीएम में नकदी का संकट गहरा गया है। उत्तर
प्रदेश, उत्तराखंड,
बिहार, झारखंड से लेकर गुजरात तक के शहरों में
एटीएम नकदी नहीं उगल रहे हैं। वहीं बैंक की शाखाओं से भी लोगों को निराश लौटना पड़
रहा है।
बैंकिंग से
जुड़े सूत्रों के मुताबिक नकदी की किल्लत के कई कारण हैं। बढ़ते एनपीए ने बैंकों
की साख को हिला दिया है। इन्हें उबारने के लिए खातों में जमा रकम के इस्तेमाल की
अटकलों ने ग्राहकों को डरा दिया है। पैसा निकालने की प्रवृत्ति एकाएक बढ़ गई है और
60
फीसदी एटीएम पर दबाव चार गुना तक बढ़ गया है। इसके अलावा दो हजार के नोटों की छपाई
बंद होने और 200 के नोटों के लिए एटीएम का कैलीब्रेट न होना भी
बड़ी समस्या बन गया है।
उत्तराखंड-चारधाम
यात्रा मार्ग के एटीएम खाली
उत्तराखंड में
चल रहे नकदी संकट का असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ सकता है। यात्रा मार्ग के एटीएम
में नकदी नहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों में कई जगह बैंक दस हजार रुपये से ज्यादा का
कैश देने में आनाकानी कर रहे हैं। पंजाब नेशनल बैंक के मंडल प्रमुख अनिल खोसला का
कहना है आरबीआई से पर्याप्त नकदी नहीं मिलने से एटीएम में नकदी की दिक्कत है।
हालांकि नकदी सप्लाई सुधरने की उम्मीद है और यात्रा सीजन को देखते हुए अतिरिक्त
नकदी की मांग की गई है।
बिहार- बैंकों
से गायब होने लगी नकदी
उत्तर बिहार के
ज्यादातर बैंकों में नकदी नहीं होने से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम व
बैंक शाखाओं में रुपये के लिए हाहाकार मचा है। बेटी-बेटा की शादी को लेकर तो दूर
घर के सामान्य खर्च के लिए भी लोगों को राशि नहीं मिल रही है। रुपये की निकासी के
लिए बैंक की शाखाओं से लेकर एटीएम तक लोगों की लंबी कतार लग रही है। मुजफ्फरपुर के
बैंकों के करेंसी चेस्टों से समस्तीपुर, दरभंगा,
गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी
व पशिचमी चंपारण को नकदी दी जाती है। पिछले डेढ़ माह से इन जिलों में कैश की
आपूर्ति नहीं हो रही है। इस कारण यहां भी कैश संकट गहरा गया है।
गुजरात में नकदी
संकट, अधिकतर एटीएम में धन नहीं
गुजरात में
बैंकों और एटीएम में नकदी की किल्लत के कारण लोगों की मुश्किले थमने का नाम नहीं
ले रही हैं। कुछ दिन पहले उत्तर गुजरात में पैदा हुए इस संकट ने अब लगभग पूरे
राज्य में अपना पैर पसार लिया है। लोगों एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात का सामना
करना पड़ रहा है। बैंकों ने नकदी निकालने की सीमा तय कर दी है, जबकि
अधिकतर एटीएम में पैसा हीं नही है। कई बैंक कोर बैंकिंग प्रणाली की सुविधा को धता
बताते हुए दूसरी शाखा के ग्राहकों को निर्धारित सीमा से भी कम रकम तक निकालने की
ही अनुमति दे रहे हैं।
राज्य सरकार भी
रिजर्व बैंक के साथ सतत संपर्क में है। गुजरात के महेसाणा, पाटन, साबरकांठा, बनासकांठा, मोडासा
के अलावा अहमदाबाद, वडोदरा,
सूरत जैसे बड़े शहरों में भी नकदी संकट
बना हुआ है। इन शहरों में अधिकतर एटीएम के ऊपर पैसा नहीं है का बोर्ड लगा हुआ है।
करीब दस दिन पहले शुरू हुई यह समस्या पहले उत्तर गुजरात के सहकारी बैंकों तक सीमित
थी पर अब राष्ट्रीयकृत बैंक और बड़े निजी बैंकों में भी यह समस्या है।
रिजर्व बैंक से नहीं मिल रही नकदी
एक बैंक अधिकारी
ने बताया कि गुजरात समेत कई अन्य राज्यों में रिजर्व बैंक की ओर से नकदी का प्रवाह
घट जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। इसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शादी के मौसम
में बढ़ा संकट
शादी विवाह का
मौसम होने और किसानों को भुगतान का समय होने के कारण इस समस्या के चलते लोगों को
खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर लोगों को एक एटीएम से
दूसरे एटीएम के चक्कर लगाते देखा जा रहा है।
दो हजार के
नोटों की छपाई बंद
पिछले साल मई
में दो हजार के नोटों को छापना बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पांच सौ और दो सौ रुपये
के नोटों को लाया गया। इससे एटीएम में डाले जा रहे नोटों की वैल्यू कम हो रही है।
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अगर दो हजार के नोटों से एटीएम को भरा जाए
तो 60 लाख रुपये तक आ जाते हैं। पांच सौ और सौ के
नोटों से ये क्षमता महज 15 से 20 लाख रुपये रह गई है।
200 के नोट के लिए एटीएम कैलिब्रेट नहीं
अभी तक महज 30
फीसदी एटीएम ही 200 रुपये को लेकर कैलीब्रेट हो सके हैं। यानी 70
फीसदी एटीएम 200 का नोट उगलने में सक्षम ही नहीं हैं। इतना ही
नहीं आरबीआई की रैंडम जांच में पाया गया है कि करीब 30
फीसदी एटीएम औसतन हर समय खराब रहते हैं।
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