कठुआ जिले में
बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या के कथित मामले की जांच कर रही अपराध शाखा मामले
में पूरक आरोप-पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया में है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के
प्रवक्ता ने आज यह कहा. हालांकि प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि पूरक आरोप-पत्र कब
दाखिल किया जाएगा. वकीलों के प्रदर्शन के बीच अपराध शाखा ने कठुआ की अदालत में नौ
अप्रैल को मामले के आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
अगले दिन पुलिस ने एक अन्य आरोपी के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसे
पहले नाबालिग बताया जा रहा था. एक वक्तव्य में प्रवक्ता के हवाले से कहा गया, ‘‘ जांच
की सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया
गया. जांच एजेंसी पूरक आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही है.’’
टिप्पणियां
उन्होंने कहा कि उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि हत्या से पहले बच्ची का
बलात्कार नहीं हुआ था. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय के बूते पर
यह निश्चित है कि आरोपियों ने उस पर यौन हमला किया था.’’ चिकित्सा
विशेषज्ञों ने यह भी कहा था कि पीड़ित बच्ची का निजी अंग मूल स्वरूप में नहीं था.
चिकित्सकों की राय के आधार पर इस मामले में रणबीर दंड संहिता की धारा 376 को
भी जोड़ा गया।. विशेषज्ञों की राय के बाद अब इसमें भी कोई संदेह नहीं रहा है कि
बच्ची को बंधक बनाकर रखा गया था और उसे मादक पदार्थ दिए जाते थे. उसकी मौत का कारण
दम घुटना बताया गया है. बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल में मिला था वह एक हफ्ते पहले
उसी इलाके में लापता हो गई थी.
कठुआ गैंगरेप मामलें में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, सांझी
राम ही निकला बच्ची का हत्यारा
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में इसी साल
जनवरी को 8
साल की बच्ची के साथ हुई बर्बरता ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। वहीं अब इस
मामलें में रोंगटे खड़े कर देने वाला वाला खुलासा हुआ है। बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या मामले की जांच
कर रही पुलिस ने कहा है कि आरोपियों में से एक सांझी राम ने पूछताछ के दौरान बताया
कि उसे बच्ची के अपहरण के चार दिन बाद उससे बलात्कार होने की बात पता चली और
बलात्कार में अपने बेटे के भी शामिल होने का पता चलने पर उसने बच्ची की हत्या करने
का फैसला किया।
17
जनवरी को जंगल से बरामद हुआ शव
जांचकर्ताओं ने बताया कि 10
जनवरी को अपह्रत बच्ची से उसी दिन सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने
बलात्कार किया था। बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ। नाबालिग के अलावा सांझी राम , उसके
बेटे विशाल और पांच अन्य को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। जांचकर्ताओं ने बताया कि बच्ची को एक छोटे से मंदिर
‘ देवीस्थान
’ में
रखा गया था जिसका सांझी राम सेवादार था। उन्होंने बताया कि ङ्क्षहदू वर्चस्व वाले
इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई।
सांझी राम के वकील अंकुर शर्मा ने जांचकर्ताओं द्वारा किए जा रहे घटना के इस वर्णन
पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अपनी बचाव रणनीति नहीं बता सकते।
नाबालिग ने खुद ही कबूल कर ली सारी बात
जांचकर्ताओं के मुताबिक सांझी राम को इस घटना की
जानकारी 13
जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने ‘ देवीस्थान
’ में
पूजा की और भतीजे को प्रसाद घर ले जाने को कहा। लेकिन उसके देरी करने पर उसने
गुस्से में उसे पीट दिया। हालांकि नाबालिग
ने सोचा कि उसके चाचा को लड़की से बलात्कार करने की बात पता चल गई है और उसने खुद
ही सारी बात कबूल कर ली। उन्होंने बताया कि उसने अपने चचेरे भाई विशाल ( सांझी राम
का बेटा ) को इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर उससे बलात्कार
किया।
सांझी राम ने तय किया था कि बच्ची को मार दिया जाना
चाहिए
मामले में दर्ज आरोप - पत्र के मुताबिक यह जानने के
बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए ताकि घूमंतु समुदाय को
भगाने के अपने मकसद को हासिल किया जा सके। लेकिन चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुई।
वे बच्ची को हीरानगर नहर में फेंकना चाहते थे लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के
कारण उसे वापस मंदिर ले आया गया। जांचकर्ताओं ने पाया कि 14 जनवरी
को बच्ची की हत्या कर दी गई क्योंकि सांझी राम अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग
को मिटा देना चाहता था। जांचकर्ताओं ने बताया कि सांझी राम ने अपने भतीजे को जुर्म
स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया था लेकिन विशाल को इस सबसे दूर रखा और उसे
आश्वासन दिया था कि वह उसे रिमांड होम से जल्द बाहर निकाल लेगा।
कछुआ बलात्कार केस में एसआईटी ने
सबूत इकट्ठा करते वक्त बहुत सारी परेशानियों का सामना किया
DSP श्वेताम्बरी
शर्मा ने बताया कि सबूत इकट्ठा करते वक्त कैसे और किन- किन परेशानियों से उनको
गुजरना पड़ा. जब उनकी टीम इस बलात्कार और हत्या के सबूत खट्टी कर रही थी, एक तरफ
एसआईटी अपना काम कर रही थी और वही राजनीतिक लोग इस बलात्कार हत्या को राजनीति का
मुद्दा बनाते हुए प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे वक्त में बड़ी मुश्किल हुई सबूत इकट्ठे करने
में और लोगों के बयान लेने में.
श्वेताम्बरी शर्मा ने बताया कि उनको बहुत ज्यादा
अफसोस हुआ जब अभियुक्तों के वकील अंकुर शर्मा ने उनकी काबलियत पर सवाल उठाया
कियोंकि वह एक औरत है. उनको उस वाक्य से बड़ी तकलीफ हुई थी.
श्वेताम्बरी शर्मा ने यह कहा की एसआईटी ने बहुत
मुश्किलों से पर्याप्त सबूत जुटाए हैं और न्यायालय पर उनको पूरा भरोसा है कि
दोषियों को सकत सजा मिलेगी और पीड़ित बच्ची को इंसाफ मिलेगा.
आपको बता दें कि जो एसआईटी इस केस के लिए गठित की गई
थी उसमें डीएसपी श्वेताम्बरी शर्मा एक लौती महिला ऑफिसर थी, जिन्होंने इस केस में
इन्वेस्टीगेशन में अपनी भूमिका निभाई.
फॉरेंसिक रिपोर्ट की डिटेल के लिए क्लिक करे : http://www.newsvisionindia.tv/2018/04/Kathua-Rape-Positive-Forensic-Report.html
पीडिता के वकील को जान का खतरा : http://www.newsvisionindia.tv/2018/04/Kathua-Case-Advocate-Fears-Murder.html
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