पुतिन की
वॉर्निंग, अगर अमेरिका ने सीरिया पर फिर हमला किया तो
होगा बवाल
जिस तरीके के आज दुनिया में हालात हैं, कि
अमेरिका की फौजें लगभग सारी दुनिया में अपना बेस बनाकर बैठी हुई है और आर्थिक रुप
से उभर रहे रूस अमेरिका के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. अमेरिका सीरिया पर हमले
तेज़ करना चाहता है वही रूस सीरिया के लिए अमेरिका से लड़ने को तैयार हैं. रूस और
चाइना की दोस्ती घनिष्ठ हो चुकी है. चाइना और अमेरिका की नहीं बनती. ट्रंप ने रूस
और चाइना के खिलाफ ट्रेड वार चालू कर दिया, जिससे दुनिया के लिए और परेशानियां
बढ़ा दी. अगर यह दोनों महाशक्तियां आपस में लड़ती हैं तो दुनिया का शायद ही कोई
देश इस लड़ाई से बच पाएगा. हर देश को दोनों में से किसी एक तरफ होना पड़ेगा. जिससे
तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो जाएगा. रूसी मीडिया ने लोगो को इसके लिए तैयार रहने को कह दिया हैं.
युद्ध की एक खासियत है, कि नुकसान दोनों तरफ होता
है और जो पक्ष अपना नुकसान सहन कर ले वह जीत जाता हैं और जो पक्ष उस नुकसान को सहन
ना कर पाए वह हार जाता है. मगर नुकसान दोनों तरफ और सभी को होता हैं.
सीरिया के मसले
पर अमेरिका और रूस के बीच 'तू-तू-मैं-मैं' का खेल रुकता हुआ नहीं दिख रहा है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने सीरिया में
फिर से कोई सैन्य कार्रवाई की तो निश्चित तौर पर दुनिया में अफरातफरी मच जाएगी।
डूमा में हुए रासायनिक हमले के बाद शनिवार को अमेरिका, फ्रांस
और ब्रिटेन ने एक साझा सैन्य कार्रवाई में सीरिया सरकार के तीन ठिकानों पर बमबारी
की थी। हालांकि रूस ने अपने अधिकारिक बयान में पहले भी इस कार्रवाई की आलोचना की
थी लेकिन ये पहली बार है जब पुतिन ने खुद अमेरिका को सीरिया पर आगे कोई कार्रवाई
करने को लेकर चेतावनी दी है।
बशर-अल-असद
सरकार
रूस के
राष्ट्रपति दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है,
"व्लादिमीर पुतिन ने जोर देकर कहा है कि
अगर संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन कर इस तरह की कार्रवाई होती रही तो
निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।"
बयान के मुताबिक पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच फोन पर बातचीत हुई
और दोनों नेताओं का मानना है कि शनिवार को सीरिया में हुए हमले के बाद सीरिया के
संघर्ष के राजनीतिक हल की गुंजाइश को काफी नुकसान पहुंचाया है।
सीरिया के
दमिश्क और होम्स में सैन्य कार्रवाई के बाद अमेरिका अब दूसरे रास्ते से सीरिया की
बशर-अल-असद सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में है। रविवार को संयुक्त राष्ट्र में
अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने बताया कि अमेरिका उन रूसी कंपनियों के खिलाफ
आर्थिक प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करेगा जो सीरिया सरकार के साथ जुड़ी हैं।
प्रतिबंधों के
लिए तैयार रूस
सीरिया में हमले
को लेकर रूस संयुक्त राष्ट्र से निंदा प्रस्ताव हासिल करने में नाकाम रूस अमेरिका
की इस नई कार्रवाई को लेकर विरोध कर रहा है। अमेरिका के टीवी चैनल सीबीएस को दिए
एक इंटरव्यू में निकी हेली ने कहा कि अमेरिका सोमवार को रूसी कंपनियों पर आर्थिक
प्रतिबंध लगाएगा जो सीरिया सरकार के कथित रासायनिक हमले में उसकी मदद कर रही थीं।
इस बयान के जवाब में रूसी संसद के ऊपरी सदन में रक्षा समिति के उपनिदेशक एवगेनी
सेरेब्रेनिकोव ने कहा कि रूस भी इन प्रतिबंधों के लिए तैयार है।
सरकारी न्यूज
एजेंसी आरआईए के मुताबिक उन्होंने अपने अधिकारिक बयान में कहा,"प्रतिबंध
हमारे लिए मुश्किल खड़े करेंगे लेकिन हमसे ज्यादा वे अमेरिका और यूरोप को नुकसान
पहुंचाएंगे।" 7 अप्रैल के डूमा शहर में कथित रासायनिक हमले के
जवाब में शनिवार को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने साझा सैन्य कार्रवाई में
सीरिया के कुछ ठिकानों पर 105 मिसाइलें दागी। अमेरिका का मानना है कि ये
जगहें सीरिया सरकार के रासायनिक हथियार बनाने के केंद्र हैं।
नए खतरे
तीनों देश
अल-असद सरकार को इस रासायनिक हमले का जिम्मेदार मानते हैं। कई चश्मदीदों और
मानवाधिकार संस्थाओं के मुताबिक इस हमले में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी।
सीरिया सरकार और उसके सहयोगी रूस और ईरान ने इन आरोपों को पश्चिम की साजिश कहकर
खारिज किया है। इस हमले से पहले रूस ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका सीरिया पर हमला
करता है तो युद्ध छिड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली
नेबेन्जिया ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि अगर अमेरिका सीरिया पर हमला करता है तो
रूस और अमेरिका के बीच युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
रूस और ईरान
आखिरकार ट्रंप
ने सीरिया में सैन्य कार्रवाई की लेकिन रविवार तक रूस की प्रतिक्रिया सिर्फ निंदा
तक ही सीमित रही और कोशिश रही कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी निंदा कर दे।
हालांकि अमेरिका ने साफ किया कि सीरिया में इस तरह कार्रवाई की गई जिससे वहां
मौजूद रूस और ईरान की सैन्य टुकड़ियों को नुकसान नहीं पहुंचा। इस हमले को लेकर
ब्रिटेन ने कहा कि रूस को इस बमबारी से पहले सावधान नहीं किया गया था जबकि फ्रांस
ने बाद में कहा कि रूस को पहले बताया गया था। सीरिया के सरकारी चैनल के मुताबिक
सीरिया ने उन केंद्रों को रूस की सूचना के बाद बमबारी से कई दिन पहले ही खाली करवा
लिया गया था। कथित रासायनिक हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने
कहा था कि ना सिर्फ सीरिया बल्कि रूस और ईरान को अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ने
की कीमत चुकानी होगी।
क्या ये नया शीत
युद्ध है?
कई जानकारों का
मानना है कि इस बमबारी के बाद रूस और अमेरिका के बीच अब अंतरराष्ट्रीय संबंधों के
स्तर पर मुकाबला होगा। बल्कि पिछले हफ्ते से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
सीरिया के समर्थक और आलोचक देशों के लिए अखाड़ा बना हुआ है। शुक्रवार के सत्र में
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुट्रेस ने माना था कि सीरिया की लड़ाई में
शामिल देशों के बीच विवाद, फिलहाल विश्व सुरक्षा और शांति के लिए सबसे
बड़ा खतरा है। वे इस स्थिति को नया शीत युद्ध कहते हैं।
"बढ़ते तनाव और जिम्मेदारी तय करने के लिए किसी
समझौते तक ना पहुंच पाने की स्थिति में सैन्य हमले बढ़ने का खतरा बढ गया है।"
गुट्रेस ने ये भी कहा कि इस नये शीत युद्ध से ये भी पता चलता है कि ऐसे खतरों से
निपटने के लिए दशकों पहले जो विकल्प मौजूद थे,
वे अब नहीं रहे और इसलिए उन्होंने
देशों से इस खतरे की स्थिति में जिम्मेदारी से काम लेने की बात कही।
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