भारत में बड़ती
बेरोजगारी और माजूदा नौकरी से निकालें जाने की दर को देखतें हुए ये कहा जा सकता है
की विश्व में भारत पीछें रह जाएगा. भारत अपनी जनसंख्या का वैसा इस्तेमाल नहीं कर
रहा है जैसा चीन कर रहा हैं. आज पूरे विश्व में भारत के पास सबसे ज़्यदा युवा है पर
उनको काम न मिलने से ये युवा पीड़ी बेकार जा रही है.
भारत को अपनी
रोजगार दर बरकरार रखने के लिए सालाना 81 लाख रोजगार पैदा करने की आवश्यकता है. इसका
खुलासा विश्व बैंक की रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की
आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. जिसके आगामी दो
वर्षों में बढ़कर 7.5 प्रतिशत होने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा
गया है कि भारत नोटबंदी और जीएसटी व्यवस्था के नकारात्मक प्रभाव से बाहर आ चुका
है. साल में दो बार जारी होने वाली साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट जॉबलेस
ग्रोथ में बैंक ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में
सुधार की बदौलत इस क्षेत्र ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र का दर्जा फिर
से हासिल कर लिया है.
भारत के संबंध
में कहा गया है कि उसकी आर्थिक वृ्द्धि 2017 में 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2018
में 7.3 प्रतिशत हो सकती है. निजी निवेश और निजी खपत
में सुधार से इसके निरंतर आगे जाने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश
की वृद्धि दर 2019-20 और 2020-21 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो जाएगी. भारत को वैश्विक
वृद्धि का फायदा उठाने के लिए निवेश और निर्यात बढ़ाने का सुझाव दिया है.
हर महीने, 13
लाख नए लोग कामकाज करने की उम्र में प्रवेश कर जाते हैं. और भारत को अपनी रोजगार
दर को बनाए रखने के लिए 81 लाख नौकरियां पैदा करनी चाहिए, जो
कि 2005-15 के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार लगातार गिर
रही है. इसकी मुख्य वजह महिलाओं का नौकरी बाजार से दूर होना है.
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