न्यूज़ विज़न की यह खबर अप्रैल 2018 की है जो सच होती नज़र आ रही हैं
श्रीलंका और भूटान भारत से पेट्रोल डीजल खरीदते हैं पर वो भी अपने देश में भारत के मुकाबले 20 रुपये कम में बेच रहे हैं।
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत साढ़े पांच साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफे के कारण पेट्रोल के दाम सितंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल की कीमत 76.87 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहीं, डीजल के दाम 68.08 रुपये हो गए। पेट्रोलियम क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। ईरान पर प्रतिबंध और सीरिया में संघर्ष से क्रूड की सप्लाई कम हो सकती है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम और बढ़ने की आशंका है। इस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 88 डॉलर प्रति बैरल है। जबकी 2016-17 में यह 47.56 डॉलर प्रति बैरल थी। मार्च 2018 में यह कीमत बढ़कर 63.80 डॉलर पर पहुंच गई।
टैक्स के कारण तेल महंगा
दिल्ली मे प्रति लीटर पेट्रोल में केंद्र सरकार 20 रुपये राज्य 16 रुपये और डीलर करीब 4 रुपये कमा रहे हैं. कच्चे तेल की कीमतों के साथ केंद्र और राज्य सरकार
द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स से भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि होती है।
लगभग सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला टैक्स अलग है। इसलिए, सभी
राज्यों में कीमत अलग है। हालांकि, सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के
दायरे में लाने की मांग हो रही है। पेट्रोल और डीजल को पिछले साल सरकार ने अपने
नियंत्रण से बाहर कर दिया था। पिछले साल 16 जून के बाद से तेल कंपनियां हर
रोज पेट्रोल और डीजल के दामों की समीक्षा करती हैं, जिसकी वजह से देशभर में हर रोज
पेट्रोल एवं डीजल के दाम बदल रहे हैं। इससे पहले पेट्रोल डीजल की कीमतें महीने में
सिर्फ दो बार बदला करती थीं।
पी चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पेट्रोल के ऊंचे
दामों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार तेल से होने
वाली कमाई से ही जिंदा है। पूर्व वित्त मंत्री ने कई ट्वीट कर कहा, भाजपा
शेखी बघारती है कि 22
राज्यों में उसकी सरकार है लेकिन फिर क्यों एनडीए सरकार पेट्रोल और पेट्रोलियम
उत्पादों को जीएसटी के तहत नहीं लाती। उन्होंने कहा, ‘पिछले चार वर्षों से भाजपा सरकार
तेल से होने वाली कमाई पर जिंदा रही है। अगर यह कमाई ना हो तो भाजपा सरकार
मुश्किलों में घिर जाएगी। यहां तक कि स्कूल का एक बच्चा भी जवाब जानता है। यह
भाजपा सरकार की ग्राहक से कर वसूलने की नीति के कारण है। पूर्व वित्तमंत्री
चिदंबरम ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 74 डॉलर प्रति बैरल चार साल पहले की
कीमतों के मुकाबले अब भी कम हैं। चार साल पहले कच्चे तेल की कीमत 105
डॉलर प्रति बैरल थी। उन्होंने कहा, तो क्यों आज पेट्रोल/डीजल की
कीमतें मई 2014
की कीमतों के मुकाबले ज्यादा है?'
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