कपिल सिब्बल: "सुप्रीम
कोर्ट के किस प्रशासनिक आदेश के तहत याचिका पर सुनवाई के लिए 5
जजों की बेंच का गठन किया गया? सबसे पहले हमें इस आदेश की कॉपी
दी जाए, क्योंकि
हम बेंच के गठन के आदेश को चुनौती देना चाहते हैं।"
जस्टिस सीकरी: "आप
आदेश की कॉपी की बजाय मेरिट पर जिरह करें।"
कपिल सिब्बल: "हमें
यह मंजूर नहीं है। इससे बेहतर है कि मैं याचिका वापस ले लूं।"
कोर्ट ने याचिका खारिज करने की बात कही तो सिब्बल ने याचिका वापस ले ली
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर महाभियोग प्रस्ताव का
नोटिस खारिज करने की मांग संबंधी सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका मंगलवार को वापस
ले ली गई। इसे कांग्रेस के दो सांसदों ने सोमवार को दायर किया था। इस पर सुनवाई के
लिए खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस ए के
सीकरी की अगुआई में 5
जजों की बेंच का गठन किया गया था। बता दें कि 23 अप्रैल को उपराष्ट्रपति ने
विपक्ष के सात दलों के सांसदों के हस्ताक्षर वाले नोटिस को खारिज कर दिया था।
चीफ जस्टिस और जस्टिस चेलमेश्वर के बीच रस्साकशी
जारी
- चीफ
जस्टिस दीपक मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट में दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर
के बीच रस्साकशी जारी है। चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव रद्द किए जाने को
चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को जस्टिस चेलमेश्वर के सामने आई। इस पर सुनवाई के
लिए उन्होंने मंगलवार सुबह 10.30 बजे का समय तय किया। ये खबर आते ही चीफ जस्टिस ने
शाम साढ़े सात बजे आदेश जारी कर मामला 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप
दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुए सवाल और जवाब
- कांग्रेस
सांसदों की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जस्टिस चेलमेश्वर और एसके कौल की
बेंच के सामने मामले की फौरन लिस्टिंग की मांग की। वकील प्रशांत भूषण भी उनके साथ
थे। ये सुनवाई करीब 20
मिनट तक चली।
सिब्बल: राज्यसभा के सभापति सिर्फ इसी आधार पर
महाभियोग प्रस्ताव रद्द नहीं कर सकते कि दुर्व्यवहार साबित नहीं हुआ।
जस्टिस चेलमेश्वर: लिस्टिंग के लिए आप सीजेआई के पास
जाएं। उनके पास ही मास्टर ऑफ रोस्टर की शक्तियां हैं।
सिब्बल: पर महाभियोग नोटिस तो सीजेआई के खिलाफ ही
है। ऐसे में उनके बाद वरिष्ठतम जज ही फैसला दे सकते हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर: पर मेरे तो यहां कुछ ही दिन बचे
हैं।
सिब्बल: आज तक कोर्ट के सामने ऐसी स्थिति ही पैदा
नहीं हुई। यह याचिका कई संवैधानिक सवाल खड़े करती है।
जस्टिस कौल: बेहतर होगा कि सीजेआई के पास इसे ले
जाएं।
सिब्बल: मैं इतना चाहता हूं कि जस्टिस चेलमेश्वर
विचार करें।
प्रशांत भूषण: सीजेआई इस मामले में कोई फैसला देने
में अक्षम हो चुके हैं। राज्यसभा सभापति के फैसले के खिलाफ याचिका पर सिर्फ
वरिष्ठतम जज ही आदेश दे सकते हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर: इस अनुरोध पर विचार किया जाना
चाहिए या नहीं, इस
पर मंगलवार सुबह साढ़े 10
बजे हम सुनवाई करेंगे।
किन दो कांग्रेस सांसदों की याचिका पर हो रही सुनवाई?
- राज्यसभा
में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस
राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था। इस फैसले को 2
कांग्रेस सांसदों प्रताप सिंह बाजवा और यमी याज्ञनिक ने चुनौती दी है।
कौन 5 जजों की संविधान पीठ का गठन किया
गया था
- याचिका
पर सुनवाई जस्टिस एके, एसए
बोबडे, एनवी
रमन्ना, अरुण
मिश्रा और आदर्श गोयल की बेंच कर रही थी। वरिष्ठता में ये 6
से 10
नंबर पर आते हैं। दो से पांच नंबर सीनियरिटी वाले जज जस्टिस चेलमेश्वर, गोगोई, लोकुर
और जोसेफ इससे दूर रखे गए। इन्होंने ही चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की
थी।
सभापति के पास खारिज करने का विकल्प नहीं- कांग्रेस
सांसद
- 2
राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी याग्निक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में
याचिका दाखिल कर कहा कि उपराष्ट्रपति और सभापति वेंकैया नायडू के पास इसे खारिज
करने का विकल्प नहीं है। उन्हें जस्टिस मिश्रा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए
एक कमेटी बनाना चाहिए थी।
- सुप्रीम
कोर्ट के सीनियर वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि नोटिस को खारिज करने
की अपील की अर्जेंट लिस्टिंग होनी चाहिए। चूंकि, ये मामला चीफ जस्टिस के खिलाफ है, इसलिए
सबसे वरिष्ठ जज को लिस्टिंग करने के निर्देश देना चाहिए।
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