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मित्रों नहीं शब्द ही गडबड है इंसान को कभी अपने दिल और दिमाग मे नकारात्मक सोच यानि Negative Thinking इंसान को किसी भी कार्य में बाधक हो जाती है और इंसान वही असफल हो जाता है मेरे कहने का सीधा तात्पर्य है कि इंसान को कभी अपने दिमाग या दिल में नकारात्मक धारणा को बाहर करके आगे बढे साथ ही ग्रिड संकल्प के साथ
यदि आप ने अपने दिल और दिमाग मे यह संकल्प शक्ति द्रिढता के साथ कर लिया एसा नहीं कि आपने संकल्प कर दिया है काम तो होना है इसके साथ कर्म और कर्तव्य भी आपको करने होंगे तब शब्द आता है संघर्ष का
यदि आपने उपरोक्त बातों को लेकर आगे बढेगे तो कई प्रकार की अडचने आयेंगी क्योंकि यह एक ईश्वरीय भी है कि कार्य दिल दिमाग को कर्म और कर्तव्यनिष्ठा के साथ आगे बढेगे तो ऊपर वाला भी परीक्षा लेता है बस उसी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के तमाम बाधाओ को पार करते हुए इंसान को आगे बढते रहने की आवश्यकता है मंजिल खुद ब खुद कदम चूमने के लिए बाध्य होगी
प्रस्तुत है उपरोक्त शब्दों को ब्याख्या
संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द!!
आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी..!!
नकारात्मकता को न केवल खुद से, बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें..
हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए...
अक्सर यह ध्यान में आया है कि जब नया साल शुरू होता है, तब हम तरह-तरह के संकल्प लेते हैं, मसलन, कोई शराब-सिगरेट-तम्बाकू छोड़ने का संकल्प लेता है तो कोई गुस्सा न करने का, कोई किताबें पढ़ने का, कोई सोशल मीडिया को छोड़ देने का तो कोई टूटी दोस्ती को दोबारा जोड़ने का, कोई बिछड़ों से मिलने का। संकल्पों की ये लौ हफ्ते-दो हफ्ते तक तो बढ़िया जलती है, लेकिन समय बीतते ही लौ धीमी पड़ने लग जाती है और आगे चल कर हम ही उसे बुझा देते हैं या बुझने देते हैं। अपने लिए तय किए गए संकल्प हमें बोर और बोझ लगने लगते हैं। आज और कल की रस्साकशी में ही साल बीतता चला जाता है। संकल्पों पर टिके न रहना बताता है कि हममें आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी है। यों भी, अपनी कही बात से मुकर जाना इंसान की सदियों पुरानी फितरत है। संकल्पों की इस यात्रा के बीच हम खुद को कितना बदल पाए हैं, इस पर भी हमें थोड़ा ठहर कर सोचने की जरूरत है। संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द है। तो क्यों हम इस शब्द की महत्ता को अपने जरिए कम करते हैं? संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द!!
आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी..!!
नकारात्मकता को न केवल खुद से,बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें..
हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए...
न्यूज विजन टी वी इंडिया, अक्सर यह ध्यान में आया है कि जब नया साल शुरू होता है, तब हम तरह-तरह के संकल्प लेते हैं, मसलन, कोई शराब-सिगरेट-तम्बाकू छोड़ने का संकल्प लेता है तो कोई गुस्सा न करने का, कोई किताबें पढ़ने का, कोई सोशल मीडिया को छोड़ देने का तो कोई टूटी दोस्ती को दोबारा जोड़ने का, कोई बिछड़ों से मिलने का संकल्पों की ये लौ हफ्ते-दो हफ्ते तक तो बढ़िया जलती है, लेकिन समय बीतते ही लौ धीमी पड़ने लग जाती है और आगे चल कर हम ही उसे बुझा देते हैं या बुझने देते हैं। अपने लिए तय किए गए संकल्प हमें बोर और बोझ लगने लगते हैं। आज और कल की रस्साकशी में ही साल बीतता चला जाता है। संकल्पों पर टिके न रहना बताता है कि हममें आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी है। यों भी, अपनी कही बात से मुकर जाना इंसान की सदियों पुरानी फितरत है। संकल्पों की इस यात्रा के बीच हम खुद को कितना बदल पाए हैं, इस पर भी हमें थोड़ा ठहर कर सोचने की जरूरत है। संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द है। तो क्यों हम इस शब्द की महत्ता को अपने जरिए कम करते हैं?
हालांकि हम अपनी किसी भी अच्छी या बुरी बात का बोझ साल पर नहीं डाल सकते। हमेशा साथ रहने वाला और आगे आता हुआ साल हमें जीवन को जीने का फलसफा देता है। हमारे संघर्ष, दुचित्तेपन, सही और गलत का साक्षी बनता है
साल कुछ नहीं करता, जो करता है वह इंसान ही करता है। दरअसल, साल एक सूरज की मानिंद होता है, जिसकी एक तय गतिविधि है और उसका एकमात्र काम प्रकाश फैलाना होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस प्रकाश को अपने जीवन में कितनी जगह देते हैं और कितना उससे दूरी बना कर रखते हैं
भानू मिश्रा असिस्टेंट सम्पादक समय की रेत पर हम निरंतर कुछ न कुछ लिखते-मिटाते रहते हैं। यह जरूरी भी है। ऐसा अगर नहीं करेंगे तो बहुत कुछ हमारे बीच से और बीच का ठहर जाएगा। बस ठहरने ही तो नहीं देना है कुछ भी। विकास, सोच, समझ, विचार, एहसास की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। साल हमें यही मौके हर बार देता है कि हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए रहें। नकारात्मकता को न केवल खुद से, बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें
न्यूज विजन टी वी इंडिया, अच्छा लगेगा अगर साल 2020 में हम धर्म और जाति की जड़ताओं और भेदभाव से मुक्ति पाएं। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम राजनीतिक बहसों में सोशल या निजी प्लेटफॉर्म पर अपनी दोस्तियां न तोड़ें, उन्हें बरकरार रखें। मतभेद को मनभेद न बनाएं
अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम कुछ देर के लिए मोबाइल का साथ छोड़ घर के किसी बुजुर्ग या बच्चे का हाथ पकड़ें, उनका स्नेह लें, अपना स्नेह उन्हें दें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम स्त्री को इज्जत दें, उन्हें प्रताड़ित न करें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में किसी अनजान व्यक्ति के साथ चाय-कॉफी पिएं, कुछ उससे अपनी कहें, कुछ उसकी सुनें
अच्छा लगेगा अगर आने वाले साल में हम अपनों को हाथ से कभी-कभार पत्र लिखें।हालांकि हम अपनी किसी भी अच्छी या बुरी बात का बोझ साल पर नहीं डाल सकते
हमेशा साथ रहने वाला और आगे आता हुआ साल हमें जीवन को जीने का फलसफा देता है। हमारे संघर्ष, दुचित्तेपन, सही और गलत का साक्षी बनता है। साल कुछ नहीं करता, जो करता है वह इंसान ही करता है दरअसल, साल एक सूरज की मानिंद होता है, जिसकी एक तय गतिविधि है और उसका एकमात्र काम प्रकाश फैलाना होता है
अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम राजनीतिक बहसों में सोशल या निजी प्लेटफॉर्म पर अपनी दोस्तियां न तोड़ें, उन्हें बरकरार रखें। मतभेद को मनभेद न बनाएं। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम कुछ देर के लिए मोबाइल का साथ छोड़ घर के किसी बुजुर्ग या बच्चे का हाथ पकड़ें, उनका स्नेह लें, अपना स्नेह उन्हें दें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम स्त्री को इज्जत दें, उन्हें प्रताड़ित न करें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में किसी अनजान व्यक्ति के साथ चाय-कॉफी पिएं, कुछ उससे अपनी कहें, कुछ उसकी सुनें। अच्छा लगेगा अगर आने वाले साल में हम अपनों को हाथ से कभी-कभार पत्र लिखें
इन्हीं शब्दों के साथ मै भानू मिश्रा असिस्टेंट सम्पादक न्यूज विजन टीवी इंडिया की नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं शुभ कामनाओं के साथ विदा लेता हूँ बस आप सभी मित्रों के आशीर्वाद का आकांक्षी के साथ साथ मेरा आर्टिकल कैसा लगा अवगत कराते रहेगे इसी कामना के साथ एक बार पुन: नमस्कार प्रणाम
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मित्रों नमस्कार, प्रणाम, जयहिन्द, जय भारत, बंदेमातरममित्रों आज मैअपने आफिस न्यूज विजन टी वी इंडिया मे बैठा सोच रहा था कि आपके सामने कोई नया आर्टिकल पेश करू दिमाग मे आया कुछ नया और नये अंदाज मेकिसी भी इंसान को यदि कोई कार्य करने जा रहा है तो उसके दिल और दिमाग में द्वन्द होता है कि अमुक कार्य में मुझे सफलता मिलेगी या नहीं
मित्रों नहीं शब्द ही गडबड है इंसान को कभी अपने दिल और दिमाग मे नकारात्मक सोच यानि Negative Thinking इंसान को किसी भी कार्य में बाधक हो जाती है और इंसान वही असफल हो जाता है मेरे कहने का सीधा तात्पर्य है कि इंसान को कभी अपने दिमाग या दिल में नकारात्मक धारणा को बाहर करके आगे बढे साथ ही ग्रिड संकल्प के साथ
यदि आप ने अपने दिल और दिमाग मे यह संकल्प शक्ति द्रिढता के साथ कर लिया एसा नहीं कि आपने संकल्प कर दिया है काम तो होना है इसके साथ कर्म और कर्तव्य भी आपको करने होंगे तब शब्द आता है संघर्ष का
यदि आपने उपरोक्त बातों को लेकर आगे बढेगे तो कई प्रकार की अडचने आयेंगी क्योंकि यह एक ईश्वरीय भी है कि कार्य दिल दिमाग को कर्म और कर्तव्यनिष्ठा के साथ आगे बढेगे तो ऊपर वाला भी परीक्षा लेता है बस उसी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के तमाम बाधाओ को पार करते हुए इंसान को आगे बढते रहने की आवश्यकता है मंजिल खुद ब खुद कदम चूमने के लिए बाध्य होगी
प्रस्तुत है उपरोक्त शब्दों को ब्याख्या
संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द!!
आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी..!!
नकारात्मकता को न केवल खुद से, बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें..
हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए...
अक्सर यह ध्यान में आया है कि जब नया साल शुरू होता है, तब हम तरह-तरह के संकल्प लेते हैं, मसलन, कोई शराब-सिगरेट-तम्बाकू छोड़ने का संकल्प लेता है तो कोई गुस्सा न करने का, कोई किताबें पढ़ने का, कोई सोशल मीडिया को छोड़ देने का तो कोई टूटी दोस्ती को दोबारा जोड़ने का, कोई बिछड़ों से मिलने का। संकल्पों की ये लौ हफ्ते-दो हफ्ते तक तो बढ़िया जलती है, लेकिन समय बीतते ही लौ धीमी पड़ने लग जाती है और आगे चल कर हम ही उसे बुझा देते हैं या बुझने देते हैं। अपने लिए तय किए गए संकल्प हमें बोर और बोझ लगने लगते हैं। आज और कल की रस्साकशी में ही साल बीतता चला जाता है। संकल्पों पर टिके न रहना बताता है कि हममें आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी है। यों भी, अपनी कही बात से मुकर जाना इंसान की सदियों पुरानी फितरत है। संकल्पों की इस यात्रा के बीच हम खुद को कितना बदल पाए हैं, इस पर भी हमें थोड़ा ठहर कर सोचने की जरूरत है। संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द है। तो क्यों हम इस शब्द की महत्ता को अपने जरिए कम करते हैं? संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द!!
आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी..!!
नकारात्मकता को न केवल खुद से,बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें..
हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए...
न्यूज विजन टी वी इंडिया, अक्सर यह ध्यान में आया है कि जब नया साल शुरू होता है, तब हम तरह-तरह के संकल्प लेते हैं, मसलन, कोई शराब-सिगरेट-तम्बाकू छोड़ने का संकल्प लेता है तो कोई गुस्सा न करने का, कोई किताबें पढ़ने का, कोई सोशल मीडिया को छोड़ देने का तो कोई टूटी दोस्ती को दोबारा जोड़ने का, कोई बिछड़ों से मिलने का संकल्पों की ये लौ हफ्ते-दो हफ्ते तक तो बढ़िया जलती है, लेकिन समय बीतते ही लौ धीमी पड़ने लग जाती है और आगे चल कर हम ही उसे बुझा देते हैं या बुझने देते हैं। अपने लिए तय किए गए संकल्प हमें बोर और बोझ लगने लगते हैं। आज और कल की रस्साकशी में ही साल बीतता चला जाता है। संकल्पों पर टिके न रहना बताता है कि हममें आत्मविश्वास और दृढ़ता की कमी है। यों भी, अपनी कही बात से मुकर जाना इंसान की सदियों पुरानी फितरत है। संकल्पों की इस यात्रा के बीच हम खुद को कितना बदल पाए हैं, इस पर भी हमें थोड़ा ठहर कर सोचने की जरूरत है। संकल्प एक बेहद वजनदार शब्द है। तो क्यों हम इस शब्द की महत्ता को अपने जरिए कम करते हैं?
हालांकि हम अपनी किसी भी अच्छी या बुरी बात का बोझ साल पर नहीं डाल सकते। हमेशा साथ रहने वाला और आगे आता हुआ साल हमें जीवन को जीने का फलसफा देता है। हमारे संघर्ष, दुचित्तेपन, सही और गलत का साक्षी बनता है
साल कुछ नहीं करता, जो करता है वह इंसान ही करता है। दरअसल, साल एक सूरज की मानिंद होता है, जिसकी एक तय गतिविधि है और उसका एकमात्र काम प्रकाश फैलाना होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस प्रकाश को अपने जीवन में कितनी जगह देते हैं और कितना उससे दूरी बना कर रखते हैं
भानू मिश्रा असिस्टेंट सम्पादक समय की रेत पर हम निरंतर कुछ न कुछ लिखते-मिटाते रहते हैं। यह जरूरी भी है। ऐसा अगर नहीं करेंगे तो बहुत कुछ हमारे बीच से और बीच का ठहर जाएगा। बस ठहरने ही तो नहीं देना है कुछ भी। विकास, सोच, समझ, विचार, एहसास की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। साल हमें यही मौके हर बार देता है कि हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए रहें। नकारात्मकता को न केवल खुद से, बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखें
न्यूज विजन टी वी इंडिया, अच्छा लगेगा अगर साल 2020 में हम धर्म और जाति की जड़ताओं और भेदभाव से मुक्ति पाएं। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम राजनीतिक बहसों में सोशल या निजी प्लेटफॉर्म पर अपनी दोस्तियां न तोड़ें, उन्हें बरकरार रखें। मतभेद को मनभेद न बनाएं
अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम कुछ देर के लिए मोबाइल का साथ छोड़ घर के किसी बुजुर्ग या बच्चे का हाथ पकड़ें, उनका स्नेह लें, अपना स्नेह उन्हें दें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम स्त्री को इज्जत दें, उन्हें प्रताड़ित न करें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में किसी अनजान व्यक्ति के साथ चाय-कॉफी पिएं, कुछ उससे अपनी कहें, कुछ उसकी सुनें
अच्छा लगेगा अगर आने वाले साल में हम अपनों को हाथ से कभी-कभार पत्र लिखें।हालांकि हम अपनी किसी भी अच्छी या बुरी बात का बोझ साल पर नहीं डाल सकते
हमेशा साथ रहने वाला और आगे आता हुआ साल हमें जीवन को जीने का फलसफा देता है। हमारे संघर्ष, दुचित्तेपन, सही और गलत का साक्षी बनता है। साल कुछ नहीं करता, जो करता है वह इंसान ही करता है दरअसल, साल एक सूरज की मानिंद होता है, जिसकी एक तय गतिविधि है और उसका एकमात्र काम प्रकाश फैलाना होता है
यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस प्रकाश को अपने जीवन में कितनी जगह देते हैं और कितना उससे दूरी बना कर रखते हैं
भानू मिश्रा न्यूज विजन टी वी इंडिया के माध्यम से समय की रेत पर हम निरंतर कुछ न कुछ लिखते-मिटाते रहते हैं। यह जरूरी भी है। ऐसा अगर नहीं करेंगे तो बहुत कुछ हमारे बीच से और बीच का ठहर जाएगा। बस ठहरने ही तो नहीं देना है कुछ भी। विकास, सोच, समझ, विचार, एहसास की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। साल हमें यही मौके हर बार देता है कि हम कुछ अच्छा बुनें, कुछ अच्छा करें, कुछ अच्छा बनाएं, कुछ अविस्मरणीय यादें संजोए रहें। नकारात्मकता को न केवल खुद से, बल्कि अपने जीवन से भी दूर, बहुत दूर रखेंन्यूज विजन टीवी इंडिया अच्छा लगेगा अगर साल 2020 में हम धर्म और जाति की जड़ताओं और भेदभाव से मुक्ति पाएं
अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम राजनीतिक बहसों में सोशल या निजी प्लेटफॉर्म पर अपनी दोस्तियां न तोड़ें, उन्हें बरकरार रखें। मतभेद को मनभेद न बनाएं। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम कुछ देर के लिए मोबाइल का साथ छोड़ घर के किसी बुजुर्ग या बच्चे का हाथ पकड़ें, उनका स्नेह लें, अपना स्नेह उन्हें दें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में हम स्त्री को इज्जत दें, उन्हें प्रताड़ित न करें। अच्छा लगेगा अगर नए साल में किसी अनजान व्यक्ति के साथ चाय-कॉफी पिएं, कुछ उससे अपनी कहें, कुछ उसकी सुनें। अच्छा लगेगा अगर आने वाले साल में हम अपनों को हाथ से कभी-कभार पत्र लिखें
इन्हीं शब्दों के साथ मै भानू मिश्रा असिस्टेंट सम्पादक न्यूज विजन टीवी इंडिया की नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं शुभ कामनाओं के साथ विदा लेता हूँ बस आप सभी मित्रों के आशीर्वाद का आकांक्षी के साथ साथ मेरा आर्टिकल कैसा लगा अवगत कराते रहेगे इसी कामना के साथ एक बार पुन: नमस्कार प्रणाम
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