बाल विवाह पर न्यायालय सक्त, ज़ारी हुए आदेश| News Vision

Child marriage A voice raised against a social evil बाल विवाह: एक सामाजिक बुराई के खिलाफ उठती आवाज बाल विवाह, भारत जैसे विकासशील देश में एक गंभीर

वरिष्ठ न्यायाधीश डी.पी. सूत्रकार वरिष्ठ व्यवहार न्यायाधीश, जबलपुर ने उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिनांक 20.11. 2024 को बाल विवाह रोकने के लिए मजिस्ट्रेटो को दिये गये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर परामर्श के संबंध में जारी एडवाइजरी के पालन में आदेश ज़ारी किए है की नगर निगम की क्षेत्राधिकारता के विवाह संपन्न कराने वाले कोई भी मैरिज गार्डन, होटल एवं पूजारी बिना जन्म का दस्तावेज देखे, जिसमें पुरूष की उम्र 21 वर्ष महिला की उम्र 18 वर्ष हो विवाह संपन्न कराये अन्यथा उनके विरूद्ध बाल विवाह अनुष्ठान कराने के अपराध का स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया जायेगा, जो अजमानतीय होगा, जिसमें धारा-10 के तहत 2 वर्ष का कारावास और एक लाख रूपये जुर्माना हो सकता है. आदेश बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-13 के तहत ज़ारी हुए है

बाल विवाह, भारत जैसे विकासशील देश में एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल बच्चों के अधिकारों का हनन करती है, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को भी प्रभावित करती है। कम उम्र में विवाह के कारण बच्चों का बचपन छिन जाता है, और वे जीवनभर गरीबी, अशिक्षा और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहते हैं।

कानून और वास्तविकता

भारतीय कानून के अनुसार, लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है। इसके बावजूद, ग्रामीण इलाकों और गरीब तबकों में यह प्रथा आज भी प्रचलित है। शिक्षा की कमी, आर्थिक तंगी और परंपरागत सोच बाल विवाह को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण हैं।

बाल विवाह के दुष्प्रभाव 

  • शारीरिक स्वास्थ्य: छोटी उम्र में गर्भधारण से लड़कियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी और उनके बच्चों की जान को खतरा हो सकता है।
  • शिक्षा में बाधा: शादी के बाद लड़कियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है, जिससे उनका आत्मनिर्भर बनने का सपना अधूरा रह जाता है।
  • मानसिक तनाव: कम उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ बच्चों पर मानसिक दबाव डालता है।
  • आर्थिक अस्थिरता: अशिक्षा और कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी लेने के कारण परिवार आर्थिक रूप से कमजोर रह सकता है।

बाल विवाह रोकने के प्रयास

  • सरकार और गैर-सरकारी संगठन बाल विवाह रोकने के लिए कई कदम उठा रहे हैं:कानूनी सख्ती: बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।
  • शिक्षा का प्रचार: शिक्षा को बढ़ावा देकर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
  • सामाजिक जागरूकता अभियान: गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे लोग इसके दुष्प्रभाव समझ सकें।

समाज की भूमिका

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समाज का जागरूक होना आवश्यक है। माता-पिता को समझना होगा कि बच्चों का बचपन और उनकी शिक्षा उनके जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में हर नागरिक का योगदान जरूरी है। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से ही इस प्रथा को समाप्त किया जा सकता है। बच्चों का बचपन उनके अधिकार हैं, और इसे छीनने का किसी को हक नहीं है

कोर्ट ने मैरिज गार्डन होटल पुजारियों को बाल विवाह की रोकथाम के लिए जारी किए निर्देश

जिला न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश डी पी सूत्रकार ने उच्च न्यायालय जबलपुर के पत्र दिनांक 20/11/24 के पालन में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 13 के तहत जबलपुर के समस्त मैरिज गार्डनहोटलपुजारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे जन्म का दस्तावेज देखे बिना जिनमें पुरुष की उम्र 21 वर्षमहिला की उम्र 18 वर्ष  हो विवाह संपन्न  कराए अन्यथा उनके विरुद्ध बाल विवाह अनुष्ठान कराने के अपराध का स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया जाएगाजो अजमानतीय हैदो वर्ष के कारावास से दंडनीय और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

Report: Dr. Siraj Khan +91 9589333311

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