अधिवक्ता रविंद्र कुमार गुप्ता (आपत्तिकर्ता अधिवक्ता) ने बताया की न्यायाधिपति अचल कुमार पालीवाल सुनवाई दिनांक 19 दिसंबर 2024 आपत्ति कर्ता/हस्तक्षेप कर्ता की आपत्ति पर जमानतों में सुनवाई टली। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में जबलपुर में एमसीआरसी संख्या 43828/2024
विनोद तिवारी विरुद्ध मप्र शासन एवं अन्य व अन्य 8 जमानत याचिकाएं
मध्य प्रदेश की जनता का लगभग रु 10,000 करोड़ ले कर सोसाइटी के मालिक/डायरेक्टरस दुबई फरार
दूसरे देशों में नागरिकता ली
जमानत आवेदन विनोद तिवारी,सूरज रैकवार, विजय शुक्ला, आनंद रावत और आलोक जैन ने विभिन्न FIR में प्रस्तुत किए है सह आरोपी गण द्वारा सौरभ गुप्ता पत्रकार एवं निवेशक भोपाल निवासी की ओर से अधिवक्ता रविंद्र गुप्ता ने हस्तक्षेपकर्ता की ओर से जमानत आवेदन का विरोध करते हुए अत्यंत विनम्रतापूर्वक निम्नलिखित दलीलें देते हैं -
1. हस्तक्षेपकर्ता/आपत्तिकर्ता जागरूक नागरिक हैं, जिन्होंने उस सोसायटी में भी पैसा लगाया है, जिसमें आवेदक आरोपीगण विशाल घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में 10,000 करोड़ से अधिक हो चुका है। किसी उच्चतर एजेंसी
एसआईटी/ एसटीएफ या सीबीआई द्वारा जांच नहीं की जानी चाहिए।
2. यह मामला बहुत बड़े वित्तीय घोटाले से संबंधित है और माननीय मुख्य न्यधिपति डीबी-I के पास WP संख्या 17126/2021 (PIL) और WA संख्या 2492/2024 के तहत विचाराधीन है और इस माननीय न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध इन जमानत आवेदनों से संबंधित है। आरोपी व्यक्ति घोटाले का हिस्सा हैं और मध्य प्रदेश राज्य में धन के बड़े घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। मामले की जांच चल रही है
3. माननीय न्यायालय ने WP संख्या 17126/2021 में 13.9.2021 को नोटिस जारी किया। कि 9.10.2021 को विद्वान अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रतिवादी 1 से 5 के लिए उपस्थित हुए और यह बयान दिया कि "प्रतिवादी ने निर्देश जारी किए हैं। दिनांक 27.4.2022 को म प्र राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी क्रिमिनल संख्या 9376/2021 पेश की। जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय आदेश की प्रति के साथ जवाब दाखिल किया है। कृषि एवं सहकारिता विभाग में पंजीकृत होने के बाद देश में अलग-अलग नामों से 7 सोसायटियाँ चलाई जा रही हैं। ये सोसायटियाँ 2011 से 2022 के बीच पंजीकृत हैं, लेकिन राज्य ने न्यायालय में यह बयान दिया है कि सोसायटियों ने राज्य में अपने कार्यालय बंद कर दिए हैं। 2.9.2024 को प्रतिवादी सोसाइटी को नोटिस तामील माना गया। राज्य और संघ ने निर्देश लेने में समय लिया।सोसायटी ने पिछली तारीख में अपने निदेशक बदल दिए हैं और मुख्य आरोपी श्री समीर अग्रवाल भारत से भाग गए हैं। कृपया सोसायटी द्वारा केंद्रीय रजिस्ट्रार को 3.5.2024 को जारी किए गए पत्र देखें
4. कुछ जमाकर्ताओं ने दिनांक 10.11.2024 को एसपी अशोक नगर और विभिन्न अधिकारियों को शिकायत भेजी, लेकिन मुख्य आरोपियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन कुछ एफआईआर दर्ज की गई हैं और कुछ सोसायटी के लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्होंने जमानत के लिए इस माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन जांच लंबित है इसलिए इस मामले में आवेदक किसी भी आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
5. इस बीच सोसायटी के प्रबंधक और कर्मचारियों के खिलाफ अपराध संख्या 650/2024 पुलिस स्टेशन कोतवाली टीकमगढ़ में एक एफआईआर दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में प्रतिवादी प्रमोटरों और प्रबंधकीय कर्मचारियों के खिलाफ भी कुछ मामले दर्ज हैं और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है
6. पूरे घोटाले के बारे में एक संक्षिप्त नोट हस्तक्षेपकर्ता पत्रकार श्री सौरभ द्वारा तैयार किया गया है।उन्होंने आगे की जानकारी भेजी है, और मांग की है कि
जांच किसी उच्च एजेंसी अथवा एसआईटी गठित कर या सीबीआई द्वारा की जानी है, जो घोटाले की प्रकृति को देखते हुए जरूरी है। उन्होंने
कहा कि
"विनोद तिवारी इस केस के मास्टरमाइंड समीर अग्रवाल के सबसे खास लोगों में से एक है। विनोद तिवारी वही आरोपी है जिसे 2020 में पिप् लानी थाने की एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया गया था और उसके घर से 1 करोड़ 38 लाख रुपए कैश बरामद हुए थे। 2020 में भी पुलिस ने इस केस को 4000 करोड़ का केस बताया था। उस वक्त पुलिस ने विनोद तिवारी को भोपाल की करोंद ब्रांच का प्रमुख बताया था, जबकि विनोद तिवारी भोपाल संभाग के सभी जिलों और टीकमगढ़ जिले की ब्रांचों का प्रमुख है। विनोद तिवारी जो अब पुलिस के सामने खुद को होटल कारोबारी बता रहा है, उसने भी इसी चिटफंड के पैसे से ये होटल बनाया है
विनोद तिवारी ने कंपनी के लिए पहले से ज्यादा काम किया है। अगर विनोद तिवारी एवं अन्य आरोपियों को जमानत मिल जाती है तो वह समीर और उसके भाइयों एवं डायरेक्टस को बचाने के लिए पीड़ितों को डराएगा-धमकाएगा। आरोपियों के जेल में होने से इस बात की गारंटी है कि अन्य मुख्य आरोपियों तक पहुंचा जा सकता है, उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और निवेशकों का पैसा वापस मिल सकता है। विनोद तिवारी और उसके दो भाई शुरू से ही समीर के साथ ठगी के धंधे में जुड़े रहे हैं। विनोद तिवारी, रवि तिवारी, राहुल तिवारी, आलोक जैन एजेंट नहीं बल्कि समीर के धंधे में पार्टनर हैं और इन लोगों को 30-40 फीसदी तक कमीशन मिलता था।
Report: Dr. Siraj Khan +91 9589333311
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