शासकीय महाविद्यालयों के अतिथि सहायक प्रोफेसर के नियमिति करण पर सुनवाई हेतु मां मुख्य न्यायाधिपति सुरेश कुमार कैत की DB ने स्वीकृति दी
अधिवक्ता रविंद्र कुमार गुप्ता द्वारा अपना पक्ष रखते हुए बताया गया कि मामला इस प्रकार है कि याचिका कर्ताओं के पास सभी आवश्यक योग्यताएं, व्यापक अनुभव और शिक्षण कौशल है, एवं पीएचडी हैं। जो लगभग 29 वर्षों से अधिक समय से अतिथि संकाय के रूप में काम कर रहे है, वे मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियमति करण के लिए विचार करने योग्य है।
मामले की सुनवाई 20 फरवरी को
1992 से 2017 तक एमपी पीएससी द्वारा सहायक प्रोफेसरसामान्य वर्ग के लिए कोई रिक्ति घोषित नहीं की गई थी। आवेदकगण 29 वर्षों से समय-समय पर विभिन्न सरकारी कॉलेजों में अध्यापन के कार्य में लगे हुए हैं और मध्य प्रदेश शासन से नियमितीकरण की उम्मीद करते हैं।
2017 में आयोजित पीएससी परीक्षा में बैठने की अनुमति उन्हें उच्च न्यायालय से मिली थी। हालांकि उन्होंने पीएससी द्वारा निर्धारित आयु सीमा पार कर ली थी और परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। 2017 के बाद एमपीपीएससी द्वारा 2023 तक कोई रिक्ति घोषित नहीं की गई थी। आवेदिका ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियमित रूप से अतिथि संकाय के रूप में आज तक अध्यापन जारी रखा। हालांकि पीएससी के माध्यम से रोजगार के दिशानिर्देश और मानदंडों के अनुसार उनको पीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है. और उन जैसे उम्मीदवारों के लिए कोई छूट प्रदान नहीं करता है जो गलत प्रावधान है।जिन्होंने पहले ही परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और शिक्षण में इतना कौशल और अनुभव प्राप्त कर लिया है और पीएससी अभी भी उम्मीद करता है कि वह इतनी अधिक उम्र में फिर से चयन के लिए पुनः नए नियमों के अंतर्गत परीक्षा दे। आवेदक गण पीएससी की शर्तों और मानदंडों में छूट देने के मामले को इस माननीय न्यायालय के समक्ष रखना चाहते है ताकि उसे अपने चयन के लिए उसी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े और पीएससी अभी भी उससे इतनी अधिक उम्र में फिर से चयन के लिए योग्य होने की अपेक्षा करता है।
आवेदक इस माननीय न्यायालय के समक्ष पीएससी की शर्तों और मानदंडों में छूट देने के मामले। एवं उच्च शिक्षा विभाग के गलत नियमों को उठाना चाहता है ताकि उसे अपने चयन के लिए उसी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े जिसमें वे पहले योग्य हो गए थे। वे वेतनमान में समानता चाहते हैं और नियमितीकरण चाहते हैं और हर वर्ष उन्हें अतिथि सहायक प्रोफेसर हेतु आवेदन न करना पड़े ताकि वे अपनी वर्तमान नौकरी के स्थान पर 65 वर्ष की आयु तक काम करना जारी रख सकें। इसलिए यह याचिका प्रस्तुत की है।
Report: Dr. Siraj Khan +91 9589333311
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